ऐसे करें अपनों की पहचान.

ऐसे करें अपनों की पहचान
आचार्य चाणक्य के नीति शास्त्र की कुछ नीतियों दुवारा यहाँ बताना चाहा है कि किस परिस्थितियों में व्यक्ति का व्यवहार कैसा होता है
कौन हमारे कितना अनुकूल है या समय आने पर ही मालूम होता है अपने पराए लोगों की परख करने के लिए आचार्य चाणक्य ने कुछ खास बातें बताइए….
इस श्लोक आतुरे व्यसने प्राप्ते दुर्भिक्षेत्र शत्रुसंकटे राजद्वारे श्मशाने च यह यस्तथी सा बंधव ..अर्थ . जो व्यक्ति बीमारी में दुख में अकाल में दुश्मन की कोई संकट खड़ा करने पर शासकीय कार्य में श्मशान में ठीक समय पर आ जाए वह इंसान आपको सच्चा उपचारित होता है
जब कोई व्यक्ति किसी भयंकर रोग से ग्रस्त हो और जो लोग उसका साथ देते हैं देश के सच्चे अधिकारी होते हैं जब किसी के जीवन में कोई भयंकर दुःख आ जाए या कोई मुकदमा कोर्ट केस में फास जाये तब जो इंसान गवा के रूप में साथ देता है वही सच्चा मित्र कहलाने का अधिकारी होता है जो व्यक्ति मृत्यु के समय उपस्थित हो वही सच्चा मित्र होता हैजब किसी साहसी कार्य में कोई अड़चन आ जाए और जो मुझे आपका साथ दे वही सच्चा इंसान है अक्सर लोग इंसान की पहचान करने में धोखा खा जाते हैंजिसका खामियाजा उन्हें बाद में भुगतना पड़ता हैहिंदू ग्रंथों में कुछ ऐसे संकेत दिए गए हैंजिससे कोई भी आसानी से सामने वाले इंसान की पहचान कर सकता हैजो मुसीबत में कभी अपना साथ ना छोड़े वही इंसान अपना होता हैजो इंसान दिखावा करता है वह कभी सच्चा मित्र नहीं होता है