दशहरा पर्व क्यों मनाया जाता है और कब से मनाया जाता है और इस बार 2018 क्या खास है ।।
इस वर्ष दशहरा 19 अक्टूबर 2018 को मनाया जाएगा इस विजयदशमी विजय मुहूर्त दोपहर 1:58 से लेकर 2:45 तक है इस दौरान अपराजिता पूजा करना शुभ माना जाता है मान्यता है कि विजय मुहूर्त के दौरान शुरू किए गए कार्य का फल सदैव शुभ होता है
*🐵बुराई पर अच्छाई की जीत का त्योहार दशहरा
🎆 क्या भगवान राम ने की नवरात्रि की शुरूआत जाने ।।
दशहरा शब्द की उत्पत्ति संस्कृत के शब्द ‘दश- हर’ से हुई है जिसका शाब्दिक अर्थ दस बुराइयों से छुटकारा पाना है। दशहरा उत्सव, भगवान् श्रीराम का अपनी अपहृत पत्नी को रावण पर जीत प्राप्त कर छुड़ाने के उपलक्ष्य में तथा अच्छाई की बुराई पर विजय, के प्रतीकात्मक रूप में मनाया जाता है।
विजयदशमी के दिन मनाया जाता है इस त्यौहार पर सभी लोग एक जगह पर इकट्ठा होकर रावण का दहन करते हैं।।
✍️वैदिक काल से ही भारतीय संस्कृति वीरता की पूजक और शौर्य की उपासक रही है। हमारी संस्कृति कि गाथा इतनी निराली है कि देश के अलावा विदेशों में भी इसकी गुंज सुनाई देती है। तभी तो पुरी दुनिया ने भारत को विश्व गुरु माना है। भारत के प्रमुख पर्वो में से एक पर्व है दशहरा जिसे विजयादशमी के नाम से भी मनाया जाता है। दशहरा केवल त्योहार ही नही बल्कि इसे कई बातों का प्रतीक भी माना जाता है। इस त्योहार के साथ कई धार्मिक मान्यताएँ व कहानियाँ भी जुड़ी हुई है लेकिन इस पर्व को पूरे देश-विदेशों में बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में मनाते है। इस पर्व को आश्विन माह की दशमी को देश के कोने-कोने में बड़े जोश और उल्लास के साथ मनाया जाता है क्योंकि यह त्योहार ही हर्ष, उल्लास और विजय का प्रतीक है।
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*✍️ और इसी तरह पूरे देश भर में रामलीला का आयोजन किया जाता है इसमें श्री राम प्रभु 10 सीटों वाले रावण से युद्ध करते हैं और उसको मार देते हैं यहां पूरा 10 दिनों चलने वाला महाकाव्य रहता है जिसमें लाखों की तादाद में लोग इकट्ठा होकर इस महाकाव्य रामलीला का आनंद उठाते हैं और यह पूरे भारतवर्ष में मनाया जाने वाला त्यौहार है
®✓ पुराणों में कहा जाता है कि भगवान श्री राम ने 14 वर्ष का वनवास काटकर विजयदशमी के दिन रावण का वध करके अयोध्या में प्रवेश किया
* (इस पर्व को भगवती के ‘विजया’ नाम पर भी ‘विजयादशमी’ कहते हैं।)
,🐵दशहरा पूजा विधि । method of Dussehra Worship
दशहरे के दिन कई जगह अस्त्र पूजन किया जाता है वैदिक हिंदी रीति के अनुसार इस दिन श्री राम के साथ ही लक्ष्मण जी भरत जी और शत्रुघ्न जी का पूजन करना चाहिए इस दिन सुबह घर के आंगन में गोबर के चार पिंटू मंडल आकार गोल बर्तन जैसे बनाए इन्हें श्री राम समेत उनके अनुरोध की छवि मानना चाहिए गोबर से बने चार बर्तनों में भीगा हुआ दान और चांदी रखकर उसे वस्त्र से ढक देना चाहिए इसके बाद फिर उनकी गंध पुष्प और द्रव्य इत्यादि से पूजा करनी चाहिए पूजा के पश्चात ब्राह्मणों को भोजन कराकर स्वयं भोजन करना चाहिए ऐसा करने से मनुष्य वर्ष भर सुखी रहता है और उसके घर में हमेशा खुशी रहती है।