दशहरा पूजा विधि 2017: ये है शुभ मुहुर्त और इस पूजा विधि से आ सकती है घर में समृधि
दशहरा पूजन का मुहूर्त एवं तिथि
दशहरा हिंदूओं के प्रमुख त्यौहारों में से एक है। आश्विन मास की शुक्ल पक्ष की दशमी को विजयदशमी अथवा दशहरे के रुप में देशभर में मनाया जाता है। इस दिन ब्राह्मण सरस्वती पूजन और क्षत्रिय शस्त्र पूजन करते हैं। इस दिन ब्राह्मण शास्त्रों का पूजन करता है। व्यापार से जुड़े लोग अपने प्रतिष्ठान आदि का पूजन करते हैं। ऐसी मान्यता है कि इस दिन जो भी काम किया जाता है उसमें जीवनभर निराशा नहीं मिलती। दशहरा पर विजय मुहूर्त 14:08 से 14:55 बजे तक है। अपराह्न पूजा समय का समय 13:21 से 15:42 तक है। दशमी तिथि 29 सितंबर को 23:49 बजकर आरंभ होगी और 1 अक्टूबार को 01:35 मिनट पर समाप्त होगी।
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ऐसे करें दशहरा का पूजन
वैदिक हिन्दू रीति के अनुसार इस दिन श्रीराम के साथ ही लक्ष्मण जी, भरत जी और शत्रुघ्न जी का पूजन करना चाहिए। इस दिन सुबह स्नान करने के बाद घर के आंगन में गोबर के चार पिण्ड गोल बर्तन जैसे बनाएं। इन्हें श्री राम समेत उनके अनुजों की छवि मानना चाहिए। गोबर से बने हुए चार बर्तनों में भीगा हुआ धान और चांदी रखकर उसे वस्त्र से ढक दें। फिर उनकी गंध, पुष्प और द्रव्य आदि से पूजा करनी चाहिए। पूजा के पश्चात ब्राह्मणों को भोजन कराकर स्वयं भोजन करना चाहिए। ऐसा करने से मनुष्य वर्ष भर सुखी रहता है।
दशहरा 2017 पूजा विधि-
दशहरा के दिन सुबह अपने सभी काम करके एवं स्नान आदि करके स्वच्छ कपड़े पहन लें।
– इसके बाद घर में सभी लोग पूजा की तैयारी में लगें।
– उसके बाद गाय के गोबर से दस गोले यानि गोबर के कंडे बनाए।
– नवरात्रि के पहले दिन जौं बीजे जाते हैं, कंडों पर उन्हें लगाएं।
– कंडों पर दही लगाएं।
– इसके बाद धूप और डीप जलाकर धूप-अगरबत्ती जलाकर, रावण की पूजा की जाती है।
– इस दिन भगवान राम की झाकियों पर जौं चढाने की प्रथा बहुत ही पुरानी है, इसका संबंध सिर्फ शास्त्रों में मिलता है।
-कई स्थानों पर कान के उपर जौं रखने का रिवाज भी होता है।
प्राचीन काल से चली आ रही है प्रथा
प्राचीन काल में क्षत्रिय युद्ध पर जाने के लिए इस दिन का ही चुनाव करते थे। उनका मानना था कि दशहरा पर शुरू किए गए युद्ध में विजय निश्चित होगी। वहीं दशहरा पर किए जाने वाले शास्त्र पूजन का भी अपना महत्व है। दशहरे पर शमी के वृक्ष के पूजन का विशेष महत्व है। नवरात्र में भी शमी के वृक्ष की पत्तियों से पूजन करने का महत्व बताया गया है। नवरात्र के नौ दिनों में प्रतिदिन शाम के समय वृक्ष का पूजन करने से आरोग्य व धन की प्राप्ति होती है।
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यह है पौराणिक कथा
पौराणिक कथा के अनुसार रावण का वध करने से पूर्व भगवान श्री राम ने शक्ति का आह्वान किया था। प्रभु श्री राम की परीक्षा लेते हुए पूजा के लिये रखे गये कमल के फूलों में से मां दुर्गा ने एक फूल को गायब कर दिया। श्री राम को कमलनयन यानि कमल जैसे नेत्रों वाला कहा जाता था इसलिये उन्होंनें अपना एक नेत्र मां को अर्पण करने का निर्णय लिया ज्यों ही वे अपना नेत्र निकालने लगे देवी प्रसन्न होकर उनके समक्ष प्रकट हुई और विजयी होने का वरदान दिया। माना जाता है इसके पश्चात दशमी के दिन प्रभु श्री राम ने रावण का वध किया। भगवान राम की रावण पर और माता दुर्गा की महिषासुर पर जीत के इस त्यौहार को बुराई पर अच्छाई और अधर्म पर धर्म की विजय के रुप में देशभर में मनाया जाता है।
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