होली पूजा विधि – Holi Puja Vidhi in Hindi !!! Holi poojan Vidhi Samagri, Katha Story in Hindi Date & Time
होली दो दिन का त्यौहार है. पहले दिन होलिका दहन किया जाता है और दूसरे दिन रंग वाली होली खेली जाती है. होली पूजा होली के प्रथम दिन होलिका दहन से पहले की जाती है. यही दिन वास्तव मे होली का दिन होता है. द्वीतीय दिन, जब होली खेली जाती है, उस दिन को धुलंडी कहा जाता है. होली या होलिका दहन वाले दिन पूजा करना शुभ होता है. ऐसा मन जाता है कि होलिका दहन से पहले होलिका की पूजा करने से सुख-समृद्धि और धन-सम्पदा की प्राप्ति होती है. ये भी मन जाता है की होली पूजा करने से मनुष्य हर तरह के भय से मुक्त हो जाता है.
आइये जानते हैं होली की पूजा कैसे करें.
होली की पूजा कब और कैसे की जाती है?
होली की पूजा होलिका दहन से ठीक पहले की जाती है. यह पूजा कहीं भी की जा सकती है. आमतौर पर लोग इस पूजा को सामुदायिक तौर पर एक साथ करते हैं. हर गली मोहल्ले में होली के कई दिन पहले से किसी सार्वजनिक स्थान पर लकड़ियाँ, सुखी पत्तियां, पेड़ की डालियाँ, गोबर के कंडे इत्यादि सामग्री जमा किया जाना शुरू हो जाता है. यह ढेर एक मजबूत लकड़ी के आसपास इकठ्ठा किया जाता है और इसे होलिका नाम से बुलाया जाता है. होलिका दहन वाले दिन इसे जलाने से पहले इसकी पूजा की जाती है. होलिका दहन के बाद जो राख बचती है, लोग उसे घर ले जाते हैं और दूसरे दिन इस राख को अपने शरीर पर मलते हैं. ऐसा करना शुभ माना जाता है. कहते हैं ऐसा करने से शरीर पवित्र होता है. इसके बाद सब रंग और अबीर से होली खेलते हैं.
होली की पूजा विधि
सर्वप्रथम निम्न पूजा सामग्री जमा करें:
- एक कलश या बर्तन में पानी
- गोबर के कंडे या गोबर
- रोली (पूजा कुमकुम, सिन्दूर)
- अक्षत (वह चावल जो टूटा हुआ ना हो, साबुत हो )
- धूप, अगरबत्ती इत्यादि सुगन्धित पूजा सामग्री
- फूल मालाएं
- मोली (पवित्र धागा)
- कच्ची हल्दी की गांठे
- साबूत मूंग की दाल
- बताशे
- नारियल
- गुलाल
- एक सीधा डंडा
घर पर होली पूजा की विधि
जब आप घर पर ही होली की पूजा करें तो निम्नलिखित पूजा विधि अपनाएं
- गोबर के कंडों से मालाएं बना लें. गोबर से और भी खिलोने बनायें जैसे ढाल, तलवार, सूरज, चाँद, इत्यादि. एक खिलौना होलिका के प्रतिरूप का भी बनायें.
- घर में जिस जगह पर पूजा की जानी हो, वह जगह पानी से धोकर गोबर का चौका लगायें
- चौका लग जाने के बाद एक सीधा डंडा लें और उसे चौके पर स्थापित करें
- इस डंडे के चारों तरफ गोबर के कंडों से बनायीं मालाएं लगा दे. इन मालाओं को बढ़कुला और गुलरी भी कहा जाता है
- इन मालाओं के आसपास गोबर से बनी ढाल, तलवार, और बाकी सारे खिलौनें भी रख दें
- अब आप पूजा के लिए तैयार हैं. होली पूजन मुहूर्त के समय तैयार की गयी होलिका की पूजा करें
- होली पूजा के समय सारी पूजन सामग्री एक पूजा थाली में सजा लें – फूल, धूप, अगरबत्ती, रोली, मोली, अक्षत – सभी कुछ थाल में रखें. पानी को एक पूजा घट (लोटे) में रख लें.
- सबसे पहले गणेश, विष्णु और आप जिन देवी देवताओं को मानतें हैं, उनकी पूजा करें. इसके लिए पूर्व अथवा उत्तर दिशा की ओर मुख कर के बैठें और हाथ जोड़ कर इन देवताओं का ध्यान करें, मंत्र जाप भी कर सकतें हैं.
- इसके बाद भक्त प्रहलाद का ध्यान करें और उनकी पूजा करें. होलिका दहन की रीति प्रहलाद से जुड़ी है. प्रह्लाद के पिता हिरन्यकश्यप ने अपनी बहन होलिका की सहायता से प्रहलाद का वध करना चाह था परन्तु नारायण भक्त प्रहलाद की रक्षा भगवन विष्णु ने की और होलिका जल कर राख हो गयी परन्तु प्रहलाद आग में भी सुरक्षित रहे. तभी से होलिका दहन की प्रथा प्रारम्भ हुई
- प्रह्लाद की पूजा करने के लिए उनका ध्यान करते हुए ये मंत्र पढ़ें:
ऊँ प्रह्लादाय नम: पंचोपचारार्थे गंधाक्षतपुष्पाणि समर्पयामि।।
- मंत्र पढते हुए होलिका पे चढ़ाये फूल मालाओं पे रोली अक्षत लगाएं और धुप अगरबत्ती से पूजा करें.
- अब होलिका के समक्ष खड़े हो जाएँ एवं हाथ जोड़ कर निम्न मंत्र का जाप करें:
असृक्पाभयसंत्रस्तै: कृता त्वं होलि बालिशै:
अतस्त्वां पूजयिष्यामि भूते भूतिप्रदा भव:।।
- मंत्र का जाप करते हुए फूल, मालाएं, अक्षत, मुंग दाल, हल्दी, नारियल इत्यादि होलिका पर चढाते जाएँ. धूप, अगरबत्ती से भी पूजा करें. होलिका की परिक्रमा करते हुए मोली को होलिका के चरों तरफ लपेट दें. तीन, पांच या सात परिक्रमायें करें.
- घट के पानी को होलिका के आगे अर्पित करें.
- होलिका की पूजा करने के बाद गोबर से बनाये गए ढाल, तलवार को उठा लें एवं घर में ही रखें.
- चार गुलेरी (सूखे गोबर की मालाएं) भी उठा लें और घर में ही रखें. इनमे से एक माला आपके पितरों के नाम की है, एक हनुमान जी, एक शीतला माता और एक आपके घर परिवार के नाम की है.
- होली की पूजा इस तरह पूरी हो जाने पर अब आप को होली जलानी है. घर पर जो होलिका दहन होती है उसके लिए अग्नि बाहर जलाई गयी होलिका से ही लानी पड़ती है. जब आप बाहर वाली होलिका दहन की अग्नि से घर में होली जलाते हैं, तब जैसे ही होलिका में आग लग जाए, तब साथ के साथ ही सीधे डंडे को बहार निकल लें, उसे जलने ना दें. यह भक्त प्रहलाद का प्रतिरूप है.
- होली जलते ही स्त्रियाँ होलिका को पानी का अर्घ्य दें एवं रोली अक्षत चढ़ाएं. पुरुष हरे चने के बूटे और जौ के बाल होली में भुन लें और इसे प्रसाद की तरह बाँट कर खाएं