नकल करना बुरा है ! एक पहाड़ की ऊंची चोटी पर एक बाज रहता था।
प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश
नकल करना बुरा है
एक दिन कौए ने सोचा, ‘वैसे तो ये चालाक खरगोश मेरे हाथ आएंगे नहीं, अगर इनका नर्म मांस खाना है तो मुझे भी बाज की तरह करना होगा। एकाएक झपट्टा मारकर पकड़ लूंगा।’
दूसरे दिन कौए ने भी एक खरगोश को दबोचने की बात सोचकर ऊंची उड़ान भरी। फिर उसने खरगोश को पकड़ने के लिए बाज की तरह जोर से झपट्टा मारा। अब भला कौआ बाज का क्या मुकाबला करता। खरगोश ने उसे देख लिया और झट वहां से भागकर चट्टान के पीछे छिप गया। कौआ अपनी हीं झोंक में उस चट्टान से जा टकराया। नतीजा, उसकी चोंच और गरदन टूट गईं और उसने वहीं तड़प कर दम तोड़ दिया।
शिक्षा—नकल करने के लिए भी अकल चाहिए।
मुफ्तखोर मेहमान
संयोग से एक दिन अग्निमुख नाम का एक खटमल भी राजा के शयनकक्ष में आ पहुंचा। जूं ने जब उसे देखा तो वहां से चले जाने को कहा। उसने अपने अधिकार-क्षेत्र में किसी अन्य का दखल सहन नहीं था।
लेकिन खटमल भी कम चतुर न था, बोलो, ‘‘देखो, मेहमान से इसी तरह बर्ताव नहीं किया जाता, मैं आज रात तुम्हारा मेहमान हूं।’’
जूं अततः खटमल की चिकनी-चुपड़ी बातों में आ गई और उसे शरण देते हुए बोली,
‘‘ठीक है, तुम यहां रातभर रुक सकते हो, लेकिन राजा को काटोगे तो नहीं उसका खून चूसने के लिए।’’
खटमल बोला, ‘‘लेकिन मैं तुम्हारा मेहमान है, मुझे कुछ तो दोगी खाने के लिए। और राजा के खून से बढ़िया भोजन और क्या हो सकता है।’’
‘‘ठीक है।’’ जूं बोली, ‘‘तुम चुपचाप राजा का खून चूस लेना, उसे पीड़ा का आभास नहीं होना चाहिए।’’
‘‘जैसा तुम कहोगी, बिलकुल वैसा ही होगा।’’ कहकर खटमल शयनकक्ष में राजा के आने की प्रतीक्षा करने लगा।
रात ढलने पर राजा वहां आया और बिस्तर पर पड़कर सो गया। उसे देख खटमल सबकुछ भूलकर राजा को काटने लगा, खून चूसने के लिए।
ऐसा स्वादिष्ट खून उसने पहली बार चखा था, इसलिए वह राजा को जोर-जोर से काटकर उसका खून चूसने लगा। इससे राजा के शरीर में तेज खुजली होने लगी और उसकी नींद उचट गई। उसने क्रोध में भरकर अपने सेवकों से खटमल को ढूंढकर मारने को कहा।
यह सुनकर चतुर खटमल तो पंलग के पाए के नीचे छिप गया लेकिन चादर के कोने पर बैठी जूं राजा के सेवकों की नजर में आ गई। उन्होंने उसे पकड़ा और मार डाला।
शिक्षा—अजनबियों पर कभी विश्वास न करो।
भेड़िया आया…भेड़िया आया
अपनी शैतानियों द्वारा दूसरों को परेशान करने में उसे बड़ा मजा आता था। मगर जंगल में अकेला होने के कारण वह उकता जाता था। यहां किसे और कैसे परेशान करे, यही सोचता रहता था। जंगल से लगते कुछ किसानों के खेत थे। वे सुबह-सुबह आकर अपने खेतों में काम करने में जुट जाते थे।
एक दिन उसने किसानों के साथ शैतानी करने की सूझी।
वह सोचने लगा कि ऐसा क्या किया जाए कि सारे किसान परेशान हो जाएं।
अचानक उसके दिमाग में एक खुराफात आ ही गई।
वह जोर-जोर से चिल्लाने लगा, ‘‘बचाओ, बचाओ ! भेड़िया आया…भेड़िया आया !’’
किसानों ने लड़के की आवाज सुनी तो वे अपना-अपना काम छोड़कर लड़के की मदद के लिए दौड़ पड़े। जो भी हाथ लगा, साथ ले आए। कोई फावड़ा ले आया, कोई दरांती, तो कोई हंसिया। मगर जब वे लड़के के पास पहुंचे तो, उन्हें कहीं भेड़िया दिखाई नहीं दिया।
किसानों ने लड़के से पूछा, ‘‘कहाँ है भेड़िया ?’’
उनका सवाल सुनकर लड़का हंस पड़ा और बोला—‘‘मैं तो मजाक कर रहा था भेड़िया आया ही नहीं था। जाओ….तुम लोग जाओ।’’
किसान लड़के को डांट-फटकार कर लौट आए।
उनके जाने के बाद वह अपने आपसे बोला—‘वाह ! कैसा बेवकूफ बनाया। मजा आ गया।’
कुछ दिनों बाद लड़के ने फिर ऐसा ही किया। आसपास के किसान फिर मदद के लिए दौड़ आए। लड़का फिर हंसकर बोला, ‘‘मैं मजाक कर रहा था। आप लोगों के पास कोई और काम नहीं है जो मामूली – सी चीख-पुकार सुनकर दौड़े चले आते हो।’’
किसानों को बड़ा गुस्सा आया एक बार फिर उन्होंने उसे डांट-फटकार लगाई।
मगर ढीठ लड़का हंसता रहा।
लेकिन अब किसानों ने दृढ़ निश्चय कर लिया कि इस लड़के की मदद को कभी नहीं आएंगे।
कुछ समय बाद एक दिन सचमुच ही भेड़िया आ पहुंचा। लड़का दौड़कर एक पेड़ पर चढ़ गया और मदद के लिए चिल्लाने लगा। इस बार उसकी मदद के लिए कोई नहीं आया।
सभी ने यही सोचा कि वह बदमाश लड़का पहले की तरह मजाक कर रहा है।
भेड़िये ने कई भेड़ों को मार डाला। इससे लड़के को अपने किए पर दुख हुआ।
शिक्षा—झूठ बोलने वालों पर कोई विश्वास नहीं करता।