Guru Arjun Dev Shahidi Divas – श्रद्धापूर्वक;; गुरू अर्जुन देव जयंती

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गुरू अर्जुन देव जयंती
ग्रंथ साहिब का संपादन गुरु अर्जुन देव जी ने भाई गुरदास की सहायता से 1604में किया। ग्रंथ साहिब की संपादन कला अद्वितीय है, जिसमें गुरु जी की विद्वत्ता झलकती है। उन्होंने रागों के आधार पर ग्रंथ साहिब में संकलित वाणियों का जो वर्गीकरण किया है, उसकी मिसाल मध्यकालीन धार्मिक ग्रंथों में दुर्लभ है। यह उनकी सूझबूझ का ही प्रमाण है कि ग्रंथ साहिब में 36महान वाणीकारोंकी वाणियां बिना किसी भेदभाव के संकलित हुई।
जीवन

अर्जुन देव जी गुरु राम दास के सुपुत्र थे। उनकी माता का नाम बीवी भानी जी था। गोइंदवाल साहिब में उनका जन्म 15अप्रैल 1563को हुआ और विवाह 1579ईसवी में। सिख संस्कृति को गुरु जी ने घर-घर तक पहुंचाने के लिए अथाह प्रयत्‍‌न किए। गुरु दरबार की सही निर्माण व्यवस्था में उनका महत्वपूर्ण योगदान रहा है। 1590ई. में तरनतारनके सरोवर की पक्की व्यवस्था भी उनके प्रयास से हुई।

ग्रंथ साहिब के संपादन को लेकर कुछ असामाजिक तत्वों ने अकबर बादशाह के पास यह शिकायत की कि ग्रंथ में इस्लाम के खिलाफ लिखा गया है, लेकिन बाद में जब अकबर को वाणी की महानता का पता चला, तो उन्होंने भाई गुरदास एवं बाबा बुढ्ढाके माध्यम से 51मोहरें भेंट कर खेद ज्ञापित किया। जहाँगीर ने लाहौर जो की अब पाकिस्तान में है, में १६ जून १६०६ को अत्यंत यातना देकर उनकी हत्या करवा दी।

अर्जुन देव या गुरू अर्जुन देव सिखों के एक गुरू थे । गुरु अर्जुन देव जी शहीदों के सरताज एवं शान्तिपुंजहैं।

गुरु अर्जन देव का उपदेश (Teachings of Guru Arjan Dev Ji in Hindi)

* सुबह जल्दी उठ कर स्नान करके वाहिगुरु मंत्र का स्मरण करना और बाणी पढ़ना।
* दोनों हाथों की कमाई का निर्वाह करना तथा जरूरतमंदों को दान देना।
* अहंकार का त्याग करना।

विशेष बिंदु

  • गुरु अर्जन देव के स्वयं के लगभग दो हज़ार शब्द गुरु ग्रंथ साहब में संकलित हैं।
  • अर्जन देव की रचना ‘सुषमनपाठ’ का सिक्ख नित्य पारायण करते हैं।
  • अर्जन देव ने अपने पिता द्वारा अमृतसर नगर के निर्माण कार्य को आगे बढ़ाया था।
  • इन्होंने ‘अमृत सरोवर’ का निर्माण कराकर उसमें ‘हरमंदिर साहब’ का निर्माण कराया, जिसकी नींव सूफ़ी संत मियाँ मीर के हाथों से रखवाई गई थी।
  • तरनतारन नगर भी गुरु अर्जन देव के समय में बसा हुआ एक नगर है।
  • मुग़ल सम्राट अकबर भी गुरु अर्जन देव का सम्मान करता था।
  • अर्जन देव ने सार्वजनिक सुविधा के लिए जो काम किए उनसे अकबर बहुत प्रभावित था।
  • अर्जन देव के बढ़ते हुए प्रभाव को जहाँगीर सहन नहीं कर सका, और उसने अपने पुत्र खुसरों की सहायता से अर्जन देव को क़ैद कर लिया।
  • जहाँगीर द्वारा क़ैद में गुरु अर्जन देव को तरह-तरह की यातनाएँ दी गईं। इन्हीं परिस्थितियों में 30 मई, 1606 ई. में रावी नदी के तट पर आकार गुरु अर्जन देव का देहांत हो गया।